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*दोस्तपुर(सुल्तानपुर) भव्य मानस सम्मेलन का आयोजन जलालपुर बखरा में*

*दोस्तपुर(सुल्तानपुर) भव्य मानस सम्मेलन का आयोजन जलालपुर बखरा में*

प्रेस विज्ञप्ति
सुल्तानपुर उत्तरप्रदेश

*दोस्तपुर(सुल्तानपुर) भव्य मानस सम्मेलन का आयोजन जलालपुर बखरा में*

*भव्य मानस सम्मेलन जलालपुर बखरा में वृहस्पतिवार को संत बजरंगदास जी ने राम नाम का अर्थ और महत्व“राम” नाम दो अक्षरों का संक्षिप्त रूप है,* लेकिन इसका महत्व अनंत है। संस्कृत में “राम” का अर्थ है, “जो सबको आनंद देता है।” भगवान विष्णु के अवतार के रूप में, श्रीराम का जीवन सत्य, धर्म और मर्यादा के सिद्धांतों पर आधारित था। उनके नाम का जाप करने से व्यक्ति को वही दिव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है, जो उनके जीवन में परिलक्षित होती है।

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामायण में राम के नाम की महिमा का वर्णन किया गया है। राम नाम वह शक्ति है,जो व्यक्ति को जीवन के सारे दुखों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष की प्राप्ति की ओर ले जाती है। भगवान शिव ने राम नाम की महिमा को जानकर इसे सबसे शक्तिशाली और मुक्तिदायी नाम बताया है।
उन्होंने विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा राम नाम का आध्यात्मिक प्रभाव “राम” नाम का जाप व्यक्ति की आत्मा को शुद्ध करता है और उसे भगवान के प्रति समर्पित करता है। यह नाम इतना पवित्र और प्रभावशाली है कि इसे स्मरण मात्र से ही भक्त के समस्त पाप धुल जाते हैं। राम नाम की महिमा से व्यक्ति के मन में स्थिरता, शांति और संतोष की अनुभूति होती है। जब हम राम नाम का जाप करते हैं, तो यह हमारे चित्त को शुद्ध करता है और हमें ईश्वर के निकट ले जाता है।

संत तुलसीदास ने अपने ग्रंथ “रामचरितमानस” में राम नाम की अपार महिमा का वर्णन किया है। वे कहते हैं कि राम का नाम संसार सागर से पार लगाने वाला नौका है। इसे स्मरण करने वाला व्यक्ति हर प्रकार के कष्टों से मुक्त हो जाता है। रामचरितमानस के अनुसार:

*_”राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरी द्वार।*

*तुलसी भीतर बाहेरहुँ जो चाहसि उजियार।।”_*

अर्थात, तुलसीदास जी कहते हैं कि राम का नाम दीपक के समान है, जिसे मन रूपी घर के द्वार पर रख दो। इसके प्रकाश से बाहरी और आंतरिक दोनों प्रकार की अज्ञानता का अंधकार मिट जाता है। राम नाम का स्मरण करना व्यक्ति को ज्ञान और विवेक की ओर अग्रसर करता है। तथा *ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य के उत्तराधिकारी दंडी स्वामी विनोदानंद सरस्वती जी महाराज ने* प्रहलाद चरित्र के माध्यम से ईश्वर की महत्ता एवं भक्ति के प्रति वात्सल्य भाव का मार्मिक एवं सजीव चित्रण कर श्रोताओं को भाव विभोर किया। गोस्वामी तुलसीदास के लोकोपकारी ग्रंथ रामचरितमानस की पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन का दर्शन बताते हुए इसके प्रति समर्पण एवं इसके अनुगामी होने का आवाहन किया।इस मौके पर डा.रामशिरोमणि मिश्र,अच्छेलाल यादव,विजय सिंह, डा.सुशील कुमार पाण्डेय साहितेंदु,सहित्यभूषण विजयशंकर मिश्र, डा.राममूर्ति यादव,प्रो.विजय बहादुर यादव,रोहित मिश्रा,राधेश्याम चौहान सहित सैकड़ों की सख्या श्रद्धालु मौजूद रहे।

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